221 1222 221 1222
जब दिल में मुहब्बत की शुरुआत हुई होगी ।
तब आंखों से अश्कों की बरसात हुई होगी ।।1
वो याद किया होगा दो वक्त हमें हर दिन ।
जब शाम ढली होगी जब रात हुई होगी ।।2
माना कि जुबाँ चुप थी जुम्बिश लबों पे ठहरी ।
पर दिल से तेरे दिल की कुछ बात हुई होगी ।।3
खामोश परिंदों का समझो ये इशारा है ।
जीने की तमन्ना की फिर मात हुई होगी ।।4
उजड़ा सा चमन शायद कहता है हक़ीक़त ये ।
गुलशन में तेरे नफ़रत इफ़रात हुई होगी ।।5
भर देगा ख़ुदा इक दिन झोली को दुआओं से ।
दौलत जो तेरे घर से ख़ैरात हुई होगी ।।6
मुमकिन कहाँ था छू ले वो चाँद बुलन्दी का।
चाहत की उड़ानों से औकात हुई होगी ।।
नोट-मतले में काफ़िया "शुरुआत" 221 लिया है । यह काफ़िया कुछ बड़े ग़ज़लकारों ने लिया है इसलिए मैंने भी ले लिया ।
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