2122 1212 22
तज़रिबा इक नया मिला है मुझे ।
बेवफ़ा कह के वो गया है मुझे ।।
तीरगी बेहिसाब है यारो ।
रोशनी का नहीं पता है मुझे ।।
ज़िक्र करिए न अब मुहब्बत का ।
हालेदिल आपका पता है मुझे ।।
कुछ तो मेरा भी फ़र्ज़ बनता है ।
कह दिया उसने जब ख़ुदा है मुझे ।।
मामला इश्क़ का ये लगता है ।
छुप छुपाकर वो देखता है मुझे ।।
ज़ख्म जिसने दिया था कल मुझको ।
दे रहा आज वो दवा है मुझे ।।
दाग़ सूरत के मिट भी सकते हैं ।
आइना देख ये लगा है मुझे ।।
वो न समझेगा बेबसी मेरी ।
जिसने अब तक नहीं पढ़ा है मुझे ।।
ज़ीस्त कायम है बस उमीदों पर ।
उनसे मिलने का आसरा है मुझे ।।
- नवीन
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