2122 1122 1122 22
कुछ मेरे वास्ते भी आपकी रहमत हो जाय ।
आप आएं तो मेरी शाम ये ज़न्नत हो जाय ।।1
बारहा अपनी रिहाई की न फरियाद करो ।
जब किसी और की इस दिल पे हुक़ूमत हो जाय ।।2
सुकूँ के वास्ते है रूठना तो रूठ मग़र ।
दर्दो ग़म में न तेरे और भी बरकत हो जाय ।।3
माँगिये आज दुआ मीडिया की हालत पर ।
सच दिखाने की उसे थोड़ी सी हिम्मत हो जाय ।।4
उसका अंज़ामे मुहब्बत तो ख़ुदा ही जाने ।
रिन्द से जिसकी बुरे वक्त में सुहबत हो जाय ।।5
आग पानी में लगा कर के दिखा दूँ मैं अगर ।
मेरी जैसी ही मेरे यार की फ़ितरत हो जाय ।।6
मज़हबी मुद्दे लिए गाँव मे दिखते नेता ।
मेरी बस्ती में कहीं फिर न बगावत हो जाय ।।7
-नवीन मणि त्रिपाठी
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