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चुपके चुपके मिला करे कोई ।
दिल न टूटे दुआ करे कोई ।।
आएगी बात सब जुबाँ पर यूँ ।
हाले दिल कुछ पता करे कोई ।।
ख़त में देखा ग़ुलाब आया है ।
ज़ख्म फिर से हरा करे कोई ।।
ऐ मुहब्बत ज़रा बता दे तू ।
दर्द कितना सहा करे कोई ।।
कैसे सँभलेगा ये हिजाब सनम ।
गर हवा ही ख़ता करे कोई ।।
वो ख़ुदा है उसे सलाम करो ।
जब तबस्सुम अता करे कोई ।।
मंजिलें ढूढ लेंगी ख़ुद उसको।
राह पर गर चला करे कोई ।।
ज़ुल्म इज़हारे इश्क़ है यारो ।
बारहा क्यूँ ख़फा करे कोई ।।
वो मुसलसल सी है ग़ज़ल साहिब ।
उसका चेहरा पढ़ा करे कोई ।।
--डॉ नवीन मणि त्रिपाठी
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