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मेरी तहरीर पर पर्दा नहीं था ।
मगर इंसाफ का चर्चा नहीं था ।।
बिके हैं क्या यहाँ मुंसिफ भी यारो ।
सितमगर पर कोई पहरा नहीं था ।।
लगे हैं दाग़ उसके हुस्न पर क्यों ।
जमीं पर चाँद जब उतरा नहीं था ।।
निभा कर वो गया है आज कस्में ।
जो अपनी बात पर ठहरा नहीं था ।।
किया तक़सीम उनको वक्त ने ही ।
जहां सूरज कभी ढलता नहीं था ।।
सिसकता अन्नदाता कह रहा है ।
गिरोगे तुम कभी सोचा नहीं था ।।
चमन की बोलियां लगने लगी हैं ।
तुम्हारा फ़ैसला अच्छा नहीं था ।।
जलेगा हर नया वो शह्र अब तो ।
अभी तक शह्र जो जलता नहीं था।।
महल का ख़्वाब दिखलाया गया क्यों ।
मेरी किस्मत में जब लिक्खा नहीं था ।।
रहे दहशत में सारी मीडिया यूँ ।
ये हिंदुस्तान का लहज़ा नहीं था ।।
मिले थे मुफ़्त में राशन जो हमको ।
वो हम पर कर्ज़ था तोहफ़ा नहीं था ।।
- नवीन मणि त्रिपाठी
रहे दहशत में सारी मीडिया यूँ ।
जवाब देंहटाएंये हिंदुस्तान का लहज़ा नहीं था ।।
मिले थे मुफ़्त में राशन जो हमको ।
वो हम पर कर्ज़ था तोहफ़ा नहीं था ।।
बहुत खूब!आफरीन!! 👌👌👌🙏