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हिन्दोस्तां के चेहरे पे कुछ तो जमाल हो ।
ऐसा न काम कीजिये जीना मुहाल हो ।।1
साज़िश रची गयी है यहां तोड़ने की यार ।
ये ख़्वाहिशें हुज़ूर की घर घर बवाल हो ।।2
कब तक जियेंगे भुखमरी के दौर में यहाँ ।
जमहूरियत से देश का पहला सवाल हो ।।3
गर बेचना है आपको सब बेच डालिये ।
जाने के बाद जिससे न दिल को मलाल हो ।।4
हालात आप पूछिये बेरोजगार से ।
शेयर के दाम में जहाँ दिनभर उछाल हो ।।5
उस देश के वजूद की चर्चा करें भी क्या ।
हर काम के लिए जहां मिलता दलाल हो ।।6
इस हाल में हैं जी रहे अस्सी करोड़ अब ।
घर में हमारे थोड़ा सा ही आटा दाल हो ।। 7
मिट जाए भूख सबकी सभी चैन से सो लें ।
'इक दिन मेरे जहान में ऐसा कमाल हो ।।
--- नवीन
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